Sunday, June 28, 2015

देश के लिए मोदी......

 
कभी-कभी दिल में ख्याल आता है.....तुम न होते तो क्या होता....
 


 

...ना ...ना मेरा इशारा किसी प्रेमी की तरफ कतई नहीं है, जो अपनी प्रेयसी के बिना जिंदगी की कल्पनी नहीं कर पा रहा है।
मेरा संदर्भ तो पीएम मोदी की तरफ है....जो किसी पारस की तरह लग रहे हैं, जो इस एंगल से किसी भी चीज को छूते कि वह लोगों के लिए खास बन जाता है।
जब उन्होंने स्वच्छता अभियान चलाया, पूरा देश उनके साथ हो गया। हालांकि इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता है कि उनके आलोचकों ने खूब हल्ला मचाया, लेकिन कहीं ना कहीं वो भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि अच्छी पहल है। फिर क्या विरोधी, क्या सपोर्टर सभी मोदी गुण गाने लगे।
फिर उन्होंने मन की बात सुनाई, कुछ जोक्स क्रैक होने के साथ ही सभी मन की बात सुनाने लगे।

और अब योगा डे
ऐसा नहीं है कि योग की अहमियत लोगों को पहले पता नहीं थी, लेकिन अब तो यह गूगल पर सर्च होनेवाला सबसे ज्यादा टॉपिक बन गया। लोगों की नजर नहीं चाहते हुए भी ऐसी एक्टिविटीज पर रूक जाती हैं।
और तो और रही सही कसर IB वालों ने पूरी कर दी। बस ऐलान कर दिया....मोदी के योगा डे पर आतंकवादियों की नजर है।

सोचती हूं.....आतंकवादी भी सोचते होंगे, बैठे बैठे बोर होने से अच्छा है कुछ कर लिया जाए।
सूट से लेकर फॉरेन विजिट तक सभी बात में मोदी....मोदी....
एक इंग्लिश मूवी का डायलॉग अब तक याद है कि ....बदनाम है तो क्या हुआ, नाम तो है।

वाकई.....मौजूदा हालात यह है कि किसी राजनेता का हाजमा भी बिगड़ता है तो इसमें मोदी की साजिश ढूंढी जाती है।
मेरी मन की बात, पढ़कर आप ऐसा मत सोचिएगा की मैं मोदीभक्त हूं। जहां तक मुझे लगता है एक जर्नलिस्ट बनने के बाद विरोधी या सपोर्टर बनने की बात से परे हो जाते हैं।
कॉलेज के दिनों में किसी गणमाण्य अतिथि ने कहा था, तुम न्यूज कवर करने जाते हो, न्यूज बनने नहीं। इस बात का हमेशा ख्याल रखना। इसलिए कोशिश करती हूं कि किसी ऐसी आंधी की जद में नहीं आऊं।

तो अब पॉइंट पर आते हैं....
मोदी ने अपने वादे कितने पूरे किए, कितने नहीं इसका खासा विश्लेषण तो नहीं किया है, लेकिन हां उन्हें ये पता है कि लोगों के मन को बात कैसे सुनाते हैं।  
हालांकि ठगे महसूस करने के बाद भी लोगों को उम्मीद है कि शायद अभी अच्छे दिन आने बाकी हैं।

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