Tuesday, June 16, 2015

तो क्या बेपटरी हो गए मेट्रो के नियम...

मेट्रो, ऐसा नाम जिससे शायद सभी वाकिफ होंगे... छह या आठ डिब्बों की लग्जरी ट्रेन से जिंदगी कितनी आसान हो गई... इसका अहसास तो हर सुबह होता है। भीषण ट्रैफिक में जूझते वाहन, गाडि़यों के इंजन और हॉर्न का शोर, गर्मी और धूल से बेहाल शरीर... यह उस वक्त की दिनचर्या का अहम हिस्सा हुआ करता था। अॉफिस की थकावट तो इनके आगे जैसे रत्तीभर भी न टिकती हो। 
लाखों एनसीआर वासियों की तरह ही मैं भी इसी मेट्रो का अब अहम हिस्सा हूं। करीब एक साल से हर रोज की दिनचर्या में मेरे शामिल है मेट्रो का सफर। पहले वैशाली से प्रगति मैदान तक जाना होता था... लेकिन इसी बीच अॉफिस के पास एक स्टेशन आइटीओ के बनने की जानकारी हुई तो मन बहल उठा। 
हर दिन आइटीओ स्टेशन पर हो रहे निर्माण कार्य को देखते हुए अॉफिस जाना मेरी दिनचर्या में जुड़ गया। कुछ दिनों पहले लंबे समय से जिसका इंतजार था ओ पूरा हो गया। आइटीओ स्टेशन हमारी आगवानी के लिए तैयार था, लेकिन दौड़ती-भागती जिंदगी के बीच आइटीओ जाना भूल ही जाती थी। स्टेशन के सामने से गुजरने पर याद आता था... प्रगति मैदान क्यों उतरी... फालतू में इतना दूर चलना पड़ा। आखिरकार एक दिन घर से निकलने से पहले ही निश्चय किया आइटीओ से ही जाउंगी। 
आइटीओ तक उतरने की फिलिंग ऐसी थी, जिसे शब्दों में बयां कर पाना शायद मुश्किल है... मंडी हाउस पर आइटीओ के लिए मेट्रो का इंतजार कर रही थी, तभी अनाउंसमेंट हुआ, बदरपुर जाने वाले यात्री कृपया आइटीओ वाली मेट्रो पर न चढ़ें। वरना फाइन किया जाएगा...
 पहले तो माजरा समझ में नहीं आया....फिर जब मामले की तह तक गई तो पता चला। बेवजह भीड़ से इतने तंग आ गए हैं कि वे आइटीओ जाकर बदरपुर की मेट्रो पकड़ते हैं। भीड़ से मेट्रो प्रशासन भी इतना परेशान हुआ कि अपने ही नियमों को तोड़ने पर तुल गया। 
जहां तक मुझे पता है मेट्रो नियमों के अनुसार कोई भी यात्री एक मेट्रो स्टेशन पर 20 मिनट से ज्यादा रुकता है तो फाइन किया जा सकता है, लेकिन यह कहीं नियम नहीं है कि मेट्रो से एक स्टेशन पिछे जाकर आगे नहीं जा सकते।
अगर फिर भी मेट्रो प्रशासन के उस अनाउंसमेंट को मैं सही और जायजा मान भी लूं तो कौशांबी मेट्रो स्टेशन पर कई लोग ऐसे होते हैं, जो पहले वैशाली जाते हैं और फिर द्वारका सेक्टर 21 की तरफ। उनके लिए कभी ऐसा अनाउंसमेंट या कार्रवाई होते नहीं सुनी। जगह को लेकर नियमों में ऐसा भेदभाव कहां तक जायज है, समझ नहीं आता। 
हैरानी की बात यह है कि सोशल साइट्स और मीडिया में भी लोगों को हो रही इस समस्या का जिक्र तक नहीं है। जहां भी पढ़ा सिर्फ यही कि ऐसी अनाउंसमेंट हो रहा है, मेट्रो प्रशासन फलां....वजह से परेशान है, लेकिन क्या किसी को यह नहीं दिख रहा है कि इस भयंकर गर्मी में यात्री जो कुछ घंटे सुकून से बैठकर अपने गंतव्य तक जाना चाहते हैं, वो सुकून उनसे छीन लिया गया। 

1 comment:

  1. आईटीओ पर पुराना स्टेशन कहां है?

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